Saturday, 29 May 2021

गिला यही है भाग्य विधाता

 गिला यही है भाग्य विधाता

भाग्य कभी भी साथ न देता....

चलते संग-संग साथ ये सारे

दर्द अनेकों गम बहुतेरे

दृश्य विकट सा मन घबराता 

भाग्य कभी भी साथ न देता....

छुप-छुप रहती खुशी कहीं पर

मूंदती आंखें भागती छूकर

नैन विकल बस नीर बहाता

भाग्य कभी भी साथ न देता....

था धीरज और धैर्य का संगम

बढता रहा अब तक ये जीवन

संयम हरपल टूटता जाता

भाग्य कभी भी साथ न देता....

अंत तमस का दूर न होता

आश का सूरज उग न पाता

सांसों से ही हर इक नाता

भाग्य कभी भी साथ न देता.....

भारती दास ✍️


8 comments:

  1. सच है । भाग्य के बिना कुछ नहीं मिलता ।
    यहॉं तक कि आँसू भी नहीं ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी

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  2. नियति और कर्म के बीच की रस्साकसी का ही नाम तो ज़िन्दगी है। बहुत सुंदर कविता।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  3. कई बार उदासी आती है दिल में पर उम्मीद भी बनाए रखना ज़रूरी है ...

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  5. संवेदनशील भावों से भरी सुन्दर रचना।

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  6. बहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी

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