गिला यही है भाग्य विधाता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
चलते संग-संग साथ ये सारे
दर्द अनेकों गम बहुतेरे
दृश्य विकट सा मन घबराता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
छुप-छुप रहती खुशी कहीं पर
मूंदती आंखें भागती छूकर
नैन विकल बस नीर बहाता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
था धीरज और धैर्य का संगम
बढता रहा अब तक ये जीवन
संयम हरपल टूटता जाता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
अंत तमस का दूर न होता
आश का सूरज उग न पाता
सांसों से ही हर इक नाता
भाग्य कभी भी साथ न देता.....
भारती दास ✍️
सच है । भाग्य के बिना कुछ नहीं मिलता ।
ReplyDeleteयहॉं तक कि आँसू भी नहीं ।
बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी
Deleteनियति और कर्म के बीच की रस्साकसी का ही नाम तो ज़िन्दगी है। बहुत सुंदर कविता।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteकई बार उदासी आती है दिल में पर उम्मीद भी बनाए रखना ज़रूरी है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteसंवेदनशील भावों से भरी सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी
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