Saturday, 26 April 2025

 

     सेवा निवृति के अनमोल क्षण

अनुपम सेवाओं के द्वारा सबके दिलों में राज करने वाले चिकित्सक अपने कार्यकाल से अप्रैल माह में सेवा निवृत हो रहे हैं| 33 वर्षों के कार्यकाल में वे जहाँ भी रहे वहाँ उनको लोगों का भरपूर स्नेह,आदर और सम्मान मिला| उन्होंने कभी भी गरीब और अमीर में फ़र्क नहीं समझ| वे हमेशा ही ईमानदारी से काम करते रहे|यही विशेषता व विनम्रता उनकी खास रही|

व्यावहारिक तथा पारिवारिक जीवन में भी वो सबको साथ लेकर चलते रहे| यथायोग्य सबकी सेवा करते रहे| उन्होंने स्वयं की कष्टों पर ध्यान न देकर दूसरों की व्यथा का निदान करने का प्रयास किया|

लोक जीवन के मूल्यों को समझकर अथक परिश्रम करते रहे| अपने कार्य क्षेत्रों में आधुनिक प्रयोग कर हमेशा सफ़ल रहे| वे मन और हृदय से अत्यधिक ही कोमल व उदार स्वभाव वाले हैं| उनके मस्तिष्क में किसी के लिए बैर या दुराव नहीं रहा है| उन्होंने कितने ही छात्रों को,अनेकों जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता भी की है| छोटी-छोटी खुशियों से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| इसीलिए ईश्वर ने उन्हें सुंदर कल्याण कारी गुणों से सुवासित किया है|

सद्भावना का प्रभाव मनुष्य के कर्म को छू लेता है तथा उन्नति के शिखर पर ले जाता है| पीड़ा से मुक्ति पाने की प्रसन्नता मनुष्य को अप्रतिम सुख देता है| मरीजों का यही प्रगाढ़ विश्वास हमेशा उनके साथ रहा और वे सहज-सरल रूप से आगे बढ़ते रहे|चिकित्सक होकर भी वे बेहद सरल ढंग से जीवन जीतें हैं| कोई भी दंभ या अहंकार उनको छू भी नहीं पाया है| सेवा निवृति के क्षण में उनके सहकर्मियों की आँखें भर आई, सभी लोग भावुक व विह्वल हो गये| डॉ साहब के लिए सबके मन में असीम श्रद्धा का भाव उमड़ आया| आशा करती हूँ कि सेवा निवृति के बाद भी उनका जीवन सुखद और आनंदयक हो, वे सदा स्वस्थ, दीर्घायु व यशस्वी बने रहें यही मेरी शुभकामनायें हैं| 

भारती दास ✍️

Monday, 21 April 2025

दर्द दूसरे का महसूस कर

 मिट्टी का हर एक कण 
पानी का सारा जलकण 
वायु का लहर प्रत्येक 
अग्नि का चिंगारी समेत।
आकाश भी शामिल हुये
मिलकर वे प्रार्थना किये 
प्रभु से बोले वे सब साथ
हम पाँच तत्व हैं बेहद खास।
सविता देव के जैसे हम में 
भर दें तेज वैसे ही सब में 
प्रकाशमय और ऐश्वर्यमय
भास्कर सा तेजस्वमय।
ईश का स्वर दिया सुनाई 
माँगने में है नहीं भलाई
सूर्य अपने तन को जलाते 
प्राणी मात्र की सेवा करते।
तेरे पास है जो उत्सर्ग कर
कुछ देने का साहस तो कर
दर्द दूसरे का महसूस कर 
फिर रवि सा हो जा प्रखर।

भारती दास ✍️ 



Wednesday, 16 April 2025

सच्चे धर्म को जो अपनाता


सर्वनाश करना बर्बरता

धर्म कभी नहीं ये सिखलाता

एक धर्म दूसरे धर्मों का

बाधक भी कभी नहीं बनता।

निर्दोषों का रक्त बहाना 

निर्बल पर बल-तंत्र दिखाना

उन्मादी सा उत्पात मचाना 

घात-आघात दुर्बल को देना।

दीनों की आँखें जब रोती है 

कुपित हो रातें ठहर जाती है 

व्याकुल सृष्टि कांप जाती है 

दृष्टि दुखद बन जाग जाती है।

धर्म कल्याणमय चाह सिखाता 

भक्ति की निर्मल राह दिखाता 

प्रेम का आदर्श निभाता 

कोमल भाव का दर्श कराता।

धीरज-धैर्य धर्म से आता

पाप-पुण्य भी कर्म से पाता

रोष-दोष सबकुछ मिट जाता

सच्चे धर्म को जो अपनाता।


भारती दास ✍️