जीवन साँसें बहती है
स्वर्ण प्रात में, तिमिर गात में
जब मूक सी धड़कन चलती है
तब जीवन साँसे बहती है|
नवल कुन्द में, लहर सिंधु में
जब चाह मुखर हो जाती है
तब जीवन साँसें बहती है|
घन गगन में, धवल जलकण में
जब रिमझिम बूंदें गाती है
तब जीवन साँसें बहती है|
मधु-पराग में, भ्रमर-राग में
जब चंचल कलियाँ हँसती है
तब जीवन साँसें बहती है|
रवि के ताप में, पग के थाप में
जब गति शिथिल हो जाती है
तब जीवन साँसे बहती है|
प्रिय की आस में, हिय की प्यास में
नयन विकल हो बरसती है
तब जीवन साँसें बहती है|