Wednesday, 29 March 2023

आया पावन मंगलकारी

 आया पावन मंगलकारी

श्री रामचंद्र का जन्म दिवस

हे प्रेरणाओं के प्रकाश पूंज 

हर लो धरती से अज्ञान तमस.

असुर अंत करने के हेतु

नारायण ने अवतार लिया

संस्कृति के आदर्शों को

कण कण में साकार किया.

एक पत्नी का व्रत लेकर

हर नारी को सम्मान दिया

बहुपतियों के कुरीतियों से

समाज का कल्याण किया.

हे पुरुषोत्तम  पौरुष महान

समत्व भाव का नेह जगाओ

हे आदर्श रूप भक्तों के प्राण

अंतस से कल्मष मिटाओ.

भारती दास ✍️


Sunday, 19 March 2023

वो पाठशाला कहाते हैं

 देवमंदिर के प्रांगण जैसे

श्रद्धावत शीश नवाते हैं

जीवन-पाठ जहां पर पढ़ते

वो पाठशाला कहाते हैं.

हर दिन कुछ नया सिखाते

शिष्टाचार समझाते हैं

अनुशासन की सीख से सारे

सदाचार अपनाते हैं.

उज्जवल भविष्य जहां पर देते

अमूल्य ज्ञान सब पाते हैं

सद वाचन से पोषित करते 

सरल सौम्य बनाते हैं.

पवित्र-पावन हरदम होता 

गुरु शिष्य के नाते हैं 

पथ सुभग आनंदित होता

ज्ञान लक्ष्य को पाते हैं.

भारती दास ✍️



Saturday, 11 March 2023

भ्रष्टाचार

 


अभी अचानक नहीं है निकला,              
मानव हृदय को जिसने कुचला,                
विविध रूपधर भर धरती में
अवलोक रहा है बारंबार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
ज्ञान नहीं है,तर्क नहीं है
जन है जग है मोह कई है
कला नहीं है भाव विवेचन
दयनीय है जीवन के सार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
कौन सन्देशा बांटें घर-घर,
किसके भरोसे चले हम पथ पर
किसके जीवन का हो उपकार
नष्ट-भ्रष्ट है व्यक्ति संसार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
जोर-शोर से कभी चिल्लाकर,
कभी हवा में महल बनाकर,
फिर विलीन हो जाते सहसा,
घोष भरा विप्लव अपार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
निर्भयता थी जिनकी विभूति
पावनता अबोध थी जिनकी
जो शिवरूप सत्य था सुन्दर
बिखर गए जग के श्रृंगार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
आह्लाद कभी तो अश्रुविषाद
वेद विख्यात मिथ्या नहीं बात
कल को नहीं किसी की याद
जगत की कातर चीत्कार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
लूटकर परसुख सदा निरंतर
जीविका हरते मूढ़ सा मर्मर
मानव मन कुछ तो चिंतन कर
जीवन के सन्देश थे चार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
जीवन हो रहा उपेक्षित
लक्ष्य कर्म दृष्टि से वर्जित
प्रेरणाशक्ति क्यूँ है वंचित
कल को रच दो  नवसंसार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
गिन के हैं सब के दिनचार
फिर भी मची है हाहाकार
युग-युग के अमृत आदर्श
विम्बित करती है जीवन भार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
कर्मठ विनम्र मंगलपथ साधक
सत्य न्याय सदगुण आराधक
जन-जन बने अगर आविष्कारक
लोकहित का जो करे विस्तार
फ़ैल रहा  है भ्रष्टाचार....
हे विधि फिर सुवासित कर दो
इस जग को अनुशासित कर दो
हे दयामय फिर लौटा दो
आनंद उमंग और शिष्टाचार
फ़ैल रहा है भ्रष्टाचार....
भारती दास ✍️

Saturday, 4 March 2023

हे बसंत तुम सुनो पुकार

 हे बसंत तुम सुनो पुकार

यूं बीमार कर मुस्काते हो

क्यों बैरी सा करते व्यवहार

हे बसंत तुम सुनो पुकार....

तेरे आने से ही पहले

कांप उठा मन उर भी दहले

संभल संभलकर मैं हूं रहती

फिर भी कर देते लाचार

हे बसंत तुम सुनो पुकार....

सालों से नहीं खेली होली

रंग गुलाल और हंसी ठिठोली 

देख देखकर मैं हूं तरसती

रोता बिलखता चित्त बेजार

हे बसंत तुम सुनो पुकार....

तेरी खूबी अब नहीं लिखूंगी

मजबूरी सब अपनी कहूंगी

रिश्ते नाते मित्र समझते

जाती नहीं मैं किसी के द्वार

हे बसंत तुम सुनो पुकार....

कहते लोग है बसंत सुहाना

मैं देती हूं तुमको ताना

दुआ में सारी रातें गुजरती

जाऊं कहीं ना जीवन हार

हे बसंत तुम सुनो पुकार....

भारती दास ✍️