Saturday, 30 December 2023

पल बहुमूल्य निकलता जाता

 पल बहुमूल्य निकलता जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता

 क्षीण मलीन होती अभिलाषा

अंधकार सी घिरी निराशा

विकल विवश सब सहता जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता....

रुपहली रातों की माया

मन उन्मादी शिथिल सी काया

मोह प्राण का बढ़ता जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता....

वर्षा धूप शिशिर सब आया

नियति प्रेरणा बन मुस्काया

काल निरंतर दृष्टि रखता

कुछ न कुछ वह कहता जाता.... 

राष्ट्र प्रीति से रहता सब गौण

मुखर चुनौती लेता है कौन 

अपना अंतिम भेंट दे जाता

कुछ न कुछ वह कहता जाता....

भारती दास ✍️


Thursday, 14 December 2023

गतिशीलता ही जीवन है

 

धरती घूमती रहती हर-पल

सूरज-चन्द्र ना रुकते इक पल

हल-चल में ही जड़ और चेतन

उद्देश्यपूर्ण ही उनका लक्षण.

सदैव कार्यरत धरा-गगन है

गतिशीलता ही जीवन है

गति विकास है गति लक्ष्य है

गति प्रवाह है गति तथ्य है.

धक-धक जो करता है धड़कन

मन-शरीर में होता कम्पन

दौड़ते जाते हर-दम आगे

एक-दूजे को देख कर भागे.

लक्ष्य भूलकर सदा भटकते

उचित-अनुचित का भेद ना करते

पूर्णता की प्यास में आकुल

तन और मन रहता है व्याकुल.

संबंधों का ताना-बाना

बुनता रहता है अनजाना

एक ही सत्य जो सदा अटल है

हर रिश्ते नातों में प्रबल है.

जहाँ मृत्यु है वही विराम है

फिर कुछ भी ना प्रवाहमान है

पूर्ण अनंत है ईश समर्पण

जैसे विलीन हो जल में जल-कण.  

भारती दास ✍️