जिन्दगी संग्राम है एक,
लड़ना हमें
पड़ेगा
जीवित रहने के लिए,
जूझना हमें पड़ेगा
अपनी माता के गर्भों से,
संघर्ष शुरू होता है
जब-तक जीवन में होता दम,
सहर्ष ही चलता है
जटिल न हो पथ जिसका,
निर्जीव सा वो
होता है
चुनौती के माध्यम से ही,
प्रखर सा जीव होता है
कभी-कभी ऐसा भी होता,
मुश्किल भरा ही हर पल होता
मेहनत-लगन-थकन सब करके ,
फिरभी जन सफल नहीं होता
अपनी हार स्वीकार करे हम,
या फिर
प्रयास रखे जारी
मानसिक दुःख को परे हटाकर,
जीतने की कर लें तैयारी
कोशिश करके बढ़ने वाले,
कर लेते इच्छा
की पूर्ति
यही सोच कर सदा चले हम,
लड़ने की हो खुद में शक्ति
हार –जीत जीवन का संगम,
है केशव की सुन्दर उक्ति
व्यक्तित्व उसीका है निखरता,
वही बनता इक और विभूति
भारती दास