हे दयामय हे करुनामय सुन विनय मेरे सुरपति
तेरे दर पर आकर बैठी आन रख मेरे गणपति
शिव-शंकर के नंदन हो तुम
दीन-दुखी के वंदन हो तुम
हे लम्बोदर हे महोदर निर्बल के तुम हो शक्ति ,तेरे ....
सारे जग के संकट-नाशक
विघ्न-विनाशक मंगलकारक
हे सुरनायक हे सुखदायक तुम करुणा के हो मूर्ति ,तेरे ....
मुँह ना मोड़ो आस ना तोड़ो
रहो सहायक साथ ना छोड़ो
हे गजानन उर के पावन पद-पंकज में शीश झुकी ,तेरे .....
हे दयामय...