Saturday, 25 February 2023

ऐ जाग जाग मन अज्ञानी

 


ऐ जाग जाग मन अज्ञानी

ये जग है माया की नगरी

अभिमान न कर खल-लोभ न कर

सब रह जायेगा यहीं पर धरी

ऐ जाग.......

लघु जीवन है ये सोच जरा

सब मिथ्या है ये सत्य बड़ा

मत विचलित हो उत्साह बढ़ा

कर कर्म सभी गर्वों से भरी

ऐ जाग.......

निज स्वप्न में डूबे मत रहना

ये मोह है रोग तू सच कहना

आनंद भरा जीवन पथ हो

गुजरे सुन्दर ये पल ये घड़ी

ऐ जाग.......

अब क्या मांगू फैलाकर हाथ

          विधि ने ही सजाया दिन और रात  

ये रात गुजर ही जायेगी 

      दिन निकलेगा किरणों से भरी

ऐ जाग.........

भारती दास ✍️


 

Saturday, 11 February 2023

पुष्प


पुष्प
वृक्ष के ह्रदय  का
आनंद होता पुष्प
उल्लास अभिव्यक्ति का
आवाज होता पुष्प
पवित्र भावनाओं का
प्रतीक होता पुष्प
सुकोमल संवेदना का
चित्र होता पुष्प
कहता है सुमन
हे श्रेष्ठ मानव जन
निराशा के कुहासे से
जरा बाहर निकल
हो जा समर्पित लक्ष्य में
फूलों के समान
है धरोहर सीख मेरी
गहरी सी मुस्कान
कल्पना में रंग भरकर
उड़ चलो ऊँची उड़ान
मस्त रहे उन्मुक्त हो कर
है जब तक ये अपनी जान.

भारती दास ✍️

Saturday, 4 February 2023

तुलसी के मानस में राम

 


ह्रदय के सुन्दरतम भूमि में

जिनके बुद्धि हुये महान

मेघ रूप वो साधु बनकर

बरसाये मंगल घट गान.

सुन्दर शीतल सुखदाई सम

मानसरोवर के वो नाम

मंगलकारी तुलसी जी के

मानस में रहते हैं राम.

जनहित के हर सूत्र पिरोकर

युग प्रश्नों का कर समाधान.

भक्ति साधना की अनुभूति से

निहाल होते हैं विवेकवान.

बहुरंगे कमलों का दल हो

वैसे ही दोहा छंद की पंक्ति

सुन्दर भाव अनुपम सी भाषा

जैसे पराग सुगंध की शक्ति.

बंधकर भी निर्बंध रहे जो

मोहपाश में कभी ना आये 

कष्ट सहिष्णु परम भक्त वो

खल गण के भी उर में समाये.

निर्मल मन ही वह माली है

जिस पर ज्ञान का लगता फूल

भगवत्प्रेम के जल से सींचकर

कुटिल मन होते अनुकूल.

मानस के सातों सीढी से

जीवन सार दिये हैं सबको

रामचरित को रचने वाले

उनके चरणों में नमन अनेकों.

भारती दास ✍️