Saturday, 22 April 2023

वृक्ष हमें तो जीवन देती

 वृक्ष हमें तो जीवन देती 

सांसों में खुश्बू भर देती 

सूरज की किरणों से बचाती 

नभ से जल की बूंदे लाती 

हरियाली वृक्षों की न्यारी 

धरती लगती प्यारी-प्यारी 

कोयल गाती कुहू-कुहू कर

पेड़ों की डाली में छुपकर 

वृक्षों की छाया फल-फूल

प्राण-पोषण के अनुकूल 

नदी,पर्वत पेड़ और जंगल

देव रूप बन करता मंगल

पीपल बरगद और आंवला 

पेड़ है ये सब पूजा-वाला 

हर घर शोभे तुलसी पावन

ईश समर्पित सुख-मय आँगन 

पर्यावरण पर प्राणी आश्रित 

इक-दूजे से होते प्रभावित 

प्रकृति की हर घटक बचाये

पर्यावरण को स्वस्थ बनाये.

भारती दास ✍️

Saturday, 15 April 2023

सुगम करु राह हे जननी

 सुगम करु राह हे जननी

शरण में आबि बैसल छी

हरू व्यवधान जीवन सं

अहीं से आस धयने छी

सुगम करु राह हे जननी....

नै पूजा पाठ हम कयलहु

नै मन से मंत्र के जपलहुं

सांसारिक मोह में हरदम

समय व्यर्थे गंवोंने छी

सुगम करु राह हे जननी....

अहां सं कि छिपल हमर

करु एहसान हमरा पर

जगत के तारिणी अंबे

अहां सबटा जनैते छी

सुगम करु राह हे जननी....

किया करूणा छिपौने छी

कथी लय रोष कयने छी

क्षमा करु दोष जगदम्बे 

अहीं के नाम जपने छी...

भारती दास ✍️


Sunday, 2 April 2023

श्रम का मूल्य

 शून्य रुप में पड़ी थी मिट्टी

सबकी ठोकरें खाती थी

मन मसोस कर रहती थी

बिना लक्ष्य के जीती थी.

एक कुम्हार ने आकर श्रम से 

मिट्टी को खोदा और गूंथा धा

फिर चाक पर खूब घुमाकर

आगों के अंदर झोंका था.

तपकर जलकर उस मिट्टी ने

अनेक रुपों में आकार लिया 

मटका बनकर प्यास बुझाई

गमलों में स्वप्न साकार किया.

श्रम का मूल्य सदा मिलता है

तन का भी होता उपयोग

बेशक कष्टों से होता सामना

लेकिन सुकर्म का होता योग.

बदल स्वयं को सद्कर्म करे जो

वो सर्व हितकारी बन जाता है

अपराधी दुष्कर्मी अधर्मी 

विध्वंस कारी बनकर जीता हैं.

भारती दास ✍️