Monday 28 October 2024

मोह रात्रि करती विश्राम


गाओ-गाओ कोमल स्वर में

विहग बालिके मंगल गान

तरूवर गोद में छुप-छुप कर 

तुम अबोध देती मुस्कान।

शरद-शिशिर का स्वागत करती

बसंत का गाती गुणगान 

सीख तुम्हीं से हम लेते हैं 

हर पल है जीवन का मान।

स्वर्ण सुख उषा ले आती

थकी गोधूलि ढलती है शाम

दुःख-सुख का सहचर दिवस है 

मोह रात्रि करती है विश्राम।

मकड़ी के जालों में सांस 

उलझ-उलझ जाता है प्राण

नश्वर जगत में नहीं है शांति 

अविरत चलता जीवन-संग्राम।

भारती दास ✍️ 

Saturday 12 October 2024

दिव्य सौम्य सुंदर श्री राम


आदर्श की पराकाष्ठा

राष्ट्र की आस्था 

सनातन की आत्मा 

भक्ति की भावना।

जीवन के आरंभ में 

मध्य और अंत में 

सत्य तथा संघर्ष में 

तुलसी जी के छंद में।

तारक मंत्र राम ही

भक्त आराधक राम ही 

समर्थ शासक राम ही 

परलोक सुधारक राम ही।

दानशील प्राणसाधक

धर्मशील प्रजापालक

समस्त गुणाधार व्यापक

दुष्ट-खल चित्त के संहारक।

प्रियजन पुरजन में श्री राम 

गुरुजन सज्जन में विद्यमान 

एकता समता में अभिराम 

करूणा ममता में हैं अविराम।

दुःख में सुख में मुख में राम

जाति वर्ग में मित्र में राम

हर जन के मन में भगवान 

दिव्य सौम्य सुंदर श्री राम ।

भारती दास ✍️