Tuesday, 21 January 2025

धन्य है भारत भूमि महान

 

छुक-छुक करती भागती रेल

संग में डिब्बों से करके मेल

नदी-पहाड़ खेत-खलिहान 

हरी सी धरती ललित ललाम

धन्य है भारत भूमि महान।

भेड़ बकरियां दौड़ती आगे 

गाय भैंस घोड़े भी भागे 

नीम बरगद पीपल आम

बाजरा गेहूं धान तमाम

धन्य है भारत भूमि महान।

गांवों की कच्ची  पगडंडी 

सांझ को बहती हवाएं ठंढ़ी

पंख फैलाए नाचते मोर

खेलते बच्चे मचाते शोर

दृश्य मनोरम मन अभिराम 

धन्य है भारत भूमि महान।

अच्छी है रेलों की सवारी 

सहयात्री की बातें न्यारी 

भिन्न है भाषा, भिन्न है गाम

भिन्न है चेहरे भिन्न है नाम

धन्य है भारत भूमि महान।

अनगिनत झांकी दिखलाती

पराव अनेकों आती जाती 

लक्ष्य नहीं जबतक आ जाती 

रेल ना थकती ना ही रुकती

लगती है प्यारी गति-विराम

धन्य है भारत भूमि महान।

भारती दास ✍️

Tuesday, 14 January 2025

उड़ गयी पतंगें जहां दिवाकर


अपने मृदु पंखों को फैलाकर

उड़ गयी पतंगें जहां दिवाकर 

अधखुली पलकों से रही निहार

दूर मैं आई क्षितिज के पार।

इठलाती नखरे दिखलाती

मुस्काती-अंगराई लेती

अरमान अनेकों लेकर जाती

गगन में सारे रंग सजाती।

जिस पवन के झोंके ने 

गतिमान होने का मंत्र दिया 

वही प्रचंड वायु का प्रहार 

भू पर औंधे मुंह गिराया।

व्यथित होकर आंसू बहाती 

देती अपना जीवन हार

उर में प्रिय का पुलक बसाकर 

मूंद लेती है दृग के द्वार।

भारती दास ✍️

Friday, 3 January 2025

नवल वर्ष शुभ अभिनंदन है


नवल वर्ष शुभ अभिनंदन है

मही आनंदित रहे सदा ही

यही कामना करता मन है....।

कर्म कौशल हो,पथ रोशन हो 

निर्मल-निर्भय दृष्टि-नयनहो

हंसे भवन यूं,हंसता सुमन है 

यही कामना करता मन है....।

शांति परम हो,दम संयम हो

सकल भुवन में दंभ-दमन हो

तम-घन हरता अरूण-किरण है 

यही कामना करता मन है....।

सौभाग्य चरम हो,आरोग्य बदन हो

स्वप्न विमल हो, धवल चिंतन हो

पावन लगता प्रभु- वंदन है 

यही कामना करता मन है....। 

भारती दास ✍️