हे नीले नभ के खुदा बता
किस जुर्म की है मिली सजा
क्या थी उनकी गुनाह खता
जो छोड़ चले दुनिया को सदा.
वो अबोध अज्ञान सुकुमार सा गात
वो चंचल अल्हड़ किशोर था आश
वो पलकों पर लेकर स्वप्न चला
वो अनंत में छोड़ बेहाल चला.
वो आंचल में अश्रु भर चला
वो सुंदर प्रदीप था बुझ गया
हे ईश उन्हें धीरज देना
जो शेष है जीवन प्राण बिना.
सूरत हादसे के उन तमाम बच्चों को
श्रद्धांजली