Wednesday 15 May 2024

गंगा तेरी शरण में आया


गंगा तेरी शरण में आया

तन-मन-धनसे तुझको ध्याया

माँ सुन लो मेरी मनुहार....

तेरे शीतल निर्मल जल से

पाप-कलंक मैं धोया मन से

रखता हूँ मैं स्वच्छ विचार

मां सुन लो मेरी मनुहार....

करूँ प्रतिज्ञा वादे और प्रण

जब तक है ये मेरा जीवन

देश बढेगा सौ-सौ बार

मां सुन लो मेरी मनुहार....

मैंने अपना सब कुछ छोड़ा

जान हथेली पर ले दौड़ा

आज वक्त की यही पुकार

मां सुन लो मेरी मनुहार....

तेरे जल में डूब मरूँगा

खाली हाथ नहीं जाऊंगा

यही प्रार्थना यही गुहार

मां सुन लो मेरी मनुहार ....

चरणों में ये सर झुका है

अब पीड़ा से मन थका है

दे-दे मैया स्नेह-दुलार

मां सुन लो मेरी मनुहार....

भारती दास ✍️


                

Wednesday 1 May 2024

मजदूर

 

नहीं बनता समाज बड़ों से

नहीं चलता सब काज बड़ों से 

कार्य कुशल व्यक्ति ही महान 

जिससे होती उसकी पहचान.

तूफानों के बीच में रहते 

अथक मनोबल मन में भरते

बारिश की बूंदों को सहते 

जी तोड़ मेहनत वो करते.

प्रखर ताप में तन को जलाते

ऊंचे ऊंचे महल बनाते 

खुद रहने खाने को तरसते

सच्चे हितैषी बनकर जीते.

वे कामचोर इंसान न होते 

चोर नहीं बे" इमान न होते 

लोकहित से जुड़े वो होते

वे सभी मजदूर ही होते.

मजदूर बिना कुछ काम न होता

जन समाज की शान न होता 

धर्म कर्म स्वाभिमान न होता 

इक दूजे का मान न होता.

भारती दास ✍️