Saturday, 8 July 2023

आंसू

 आँसू की क्या दूं परिभाषा

इसकी नहीं है कोई भाषा

गम में, दुःख में, सुख में सब में

आहत होती ये जब तब में

याद आये जो बीते कल की

तो बस झट से आखें छलकी

किसी से जब कुछ कह नही पाए

आँसू मन की व्यथा बताये

समर्पण में छलक जाता 

सुहाने पल में हँस देता 

दुआ में भी ये रहता है

दया के साथ जीता है

नयन से जब भी बहता है

विधाता की ये श्रद्धा है

खुदगर्जी नहीं होती इसकी

सादगी हरदम इसमें होती

कुछ भी हो पर समझ यही है

हर पल सबके साथ वही है.

भारती दास ✍️


9 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  2. खूबसूरत आँसू

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी

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  4. बहुत सुंदर अश्रु परिभाषा वर्णन आदरणीय । बहुत शुभकामनायें ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  5. आसूँओं की बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण व्याख्या की है भारती जी।ये सुख और दुख दोनों को छलक कर दर्शा देते हैं।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको 🙏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद रेणु जी

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  6. अश्रुओं का सच्चा परिचय कराती सुंदर रचना

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  7. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी

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