Monday, 25 July 2016

धीर-वीर तुम सैनिकों



विपत्तिग्रस्त ये देश हमारा  
करता सदा तुम्हे नमन है
हे धीर-वीर तुम सैनिकों
तुमसे ही तो आने वतन है.
भयभीत-डरावना सा बहुत ही
कल का वो पलछिन रहा़
आतंकी-उग्रवाद हमेशा
क्षण-क्षण करता छल रहा
गोली के उन बौछारों में
तुमसे ही तो जानें वतन है  
हे धीर-वीर तुम सैनिकों
तुमसे ही तो आने वतन है.
जब भी कोई संकट आता
तुम ही तो रक्षक बन जाते
प्राण-प्रण से जूझते रहते
जब तक धड़कन थम ना जाते
ना उर में भय ना पांव में बेड़ी
तुमसे ही तो शाने वतन है
हे धीर-वीर तुम सैनिकों
तुमसे ही तो आने वतन है.
अशक्त-वक्त की प्रवाह में
राजनीती बन गयी कुरीति
घृणा-द्वेष ने जड़ जमाया
रही ना अब वो पावन-प्रीति
जब शहीद हो जाते रण में
तुमसे ही सम्माने वतन है
हे धीर-वीर तुम सैनिकों
तुमसे ही तो आने वतन है.    


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