Monday, 18 July 2016

हे जगत गुरु दो सुन्दर सीख



करूं याचना मांगू भीख
हे जगत गुरु दो सुन्दर सीख
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे
गिरजाघर हो या चौबारे
धर्मगुरु बोते विष बीज
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख....
एहसास अनेकों है अनुभूति
गुरु शिष्य की पावन प्रीति
तिमिर हटाओ बनकर दीप
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख....
दूर करो दुर्बलता मन की
संकल्प निभाये मानवता की
विश्व चमन में निखरे प्रीत
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख....
दुश्चिन्तन दुर्भाव मिटाओ
सद्चिन्तन को उर में बसाओ
करुण निवेदन सुन लो ईश
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख.....  

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