धरती गगन के मौन गूंज को
चाहिए केवल प्रखर विचार
ओज तेज भर पाये उर में
चाहिए ऐसे प्रवीर अवतार.
एक विकृत-विकार था रावण
जिसने मर्यादा को ध्वस्त किया था
उत्पात मचाकर अधर्म बढ़ाकर
ऋषि मुनि को नष्ट किया था.
बरसों से था कुंठित दानव
पशुता जैसा ही था संस्कार
स्वार्थी कपटी था अंतर से
मन से दरिद्र भी था अपार.
नित्य कुकृत्य करता रहता था
नित्य बहाता रक्त की धार
अस्थि नोच खाता चंडाल
सुनता नहीं भीषण चीत्कार.
कहीं सुरक्षित नहीं है पुत्री
अपनी जानें गंवा रही है
झूठे प्रेम के जाल में फंसकर
ख्वाब अनेकों मिटा रही है.
अध्यात्म क्रांति के द्वारा ही
परिवेश सशक्त बनाना होगा
अत्याचारी दूषित स्वरूप को
सर्वधर्म प्रीत निभाना होगा.
भारती दास ✍️
राम के द्वारा रावण को खत्म किया गया लेकिन रावण को आज के मानव खत्म होने नहीं देना चाहते
ReplyDeleteविचारणीय प्रस्तुति
सचमुच, बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteवाह.
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteअध्यात्म क्रांति के द्वारा परिवेश सशक्त बनाना होगा, शत प्रतिशत सही बात!
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
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