Sunday, 19 March 2023

वो पाठशाला कहाते हैं

 देवमंदिर के प्रांगण जैसे

श्रद्धावत शीश नवाते हैं

जीवन-पाठ जहां पर पढ़ते

वो पाठशाला कहाते हैं.

हर दिन कुछ नया सिखाते

शिष्टाचार समझाते हैं

अनुशासन की सीख से सारे

सदाचार अपनाते हैं.

उज्जवल भविष्य जहां पर देते

अमूल्य ज्ञान सब पाते हैं

सद वाचन से पोषित करते 

सरल सौम्य बनाते हैं.

पवित्र-पावन हरदम होता 

गुरु शिष्य के नाते हैं 

पथ सुभग आनंदित होता

ज्ञान लक्ष्य को पाते हैं.

भारती दास ✍️



1 comment: