Thursday, 30 December 2021

सर्वथा उत्कर्ष हो

 

महारोग इक विपदा बनकर
शोकाकुल कुंज बनाया है
बीते कल की व्यथा कथा से
प्रति घर में दर्द समाया है.
किसी का भाई पिता किसी का
किसी ने ममता गंवाया है
वातावरण की विषैलेपन से
व्याकुल मन घबराया है.
सर्वथा उत्कर्ष हो अब
ना हो कोई क्षोभ व गम
हर्ष ही हर्ष सहर्ष हो सब
सुखद सुभग बन आये क्षण.
विघ्न विहीन हो नया वर्ष ये
जन-जन में अनुराग भरे
नई सुबह की नव बेला से
दुख संताप विहाग हरे.
नव किसलय उल्लास बढाये
डाल-डाल पर खिले सुमन
स्वर्णिम लक्ष्य मिले जीवन में
पग पग पर हो नेह समर्पण.
भारती दास ✍️
(विहाग - वियोग)

12 comments:

  1. आशा की नई किरण की ओर संकेत करती सकारात्मक रचना। बधाई और आभार।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद
      नववर्ष मंगलमय हो

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  2. सर्वथा उत्कर्ष हो अब
    ना हो कोई क्षोभ व गम
    हर्ष ही हर्ष सहर्ष हो सब
    सुखद सुभग बन आये क्षण.
    बहुत सुन्दर सृजन ।

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद
    नववर्ष मंगलमय हो

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  4. सकारात्मकता बढाती रचना। वेहतरीन।

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद, नववर्ष मंगलमय हो

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  6. आशा और विश्वास का संचार करती सुंदर उत्कृष्ट रचना । नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐🙏

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  7. धन्यवाद जिज्ञासा जी
    नववर्ष मंगलमय हो

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  8. उत्कृष्ट सृजन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद
      नववर्ष मंगलमय हो

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  9. विघ्न विहीन हो नया वर्ष ये
    जन-जन में अनुराग भरे
    नई सुबह की नव बेला से
    दुख संताप विहाग हरे।
    काश ऐसा ही हो...
    मंगलकामनाओं के साथ उत्कृष्ट सृजन
    नववर्ष मंगलमय हो।

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद
    नववर्ष मंगलमय हो

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