महारोग इक विपदा बनकर
शोकाकुल कुंज बनाया है
बीते कल की व्यथा कथा से
प्रति घर में दर्द समाया है.
किसी का भाई पिता किसी का
किसी ने ममता गंवाया है
वातावरण की विषैलेपन से
व्याकुल मन घबराया है.
सर्वथा उत्कर्ष हो अब
ना हो कोई क्षोभ व गम
हर्ष ही हर्ष सहर्ष हो सब
सुखद सुभग बन आये क्षण.
विघ्न विहीन हो नया वर्ष ये
जन-जन में अनुराग भरे
नई सुबह की नव बेला से
दुख संताप विहाग हरे.
नव किसलय उल्लास बढाये
डाल-डाल पर खिले सुमन
स्वर्णिम लक्ष्य मिले जीवन में
पग पग पर हो नेह समर्पण.
भारती दास ✍️
(विहाग - वियोग)
आशा की नई किरण की ओर संकेत करती सकारात्मक रचना। बधाई और आभार।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteनववर्ष मंगलमय हो
सर्वथा उत्कर्ष हो अब
ReplyDeleteना हो कोई क्षोभ व गम
हर्ष ही हर्ष सहर्ष हो सब
सुखद सुभग बन आये क्षण.
बहुत सुन्दर सृजन ।
बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो
सकारात्मकता बढाती रचना। वेहतरीन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद, नववर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteआशा और विश्वास का संचार करती सुंदर उत्कृष्ट रचना । नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐🙏
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो
उत्कृष्ट सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteनववर्ष मंगलमय हो
विघ्न विहीन हो नया वर्ष ये
ReplyDeleteजन-जन में अनुराग भरे
नई सुबह की नव बेला से
दुख संताप विहाग हरे।
काश ऐसा ही हो...
मंगलकामनाओं के साथ उत्कृष्ट सृजन
नववर्ष मंगलमय हो।
बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो