राधा-कृष्णन के जन्म-दिन पर
शिक्षक दिवस मनाते हैं
उनके सुन्दर सद्चिन्तन से
जन-जन प्रेरणा पाते हैं.
श्रेष्ठ चिन्तक और मनीषी
आदर्श शिक्षक थे महान
शिक्षा की क्रांति लाने में
अहम् था उनका योगदान.
सामान्य नहीं होते हैं शिक्षक
वो होते हैं शिल्पकार
गीली मिटटी को संवारनेवाला
जैसे होते हैं कुंभकार .
शिक्षा का ये रूप नहीं है
हो केवल अक्षर का ज्ञान
पथ के तिमिर मिटाने वाले
शिक्षक होते ज्योति समान.
संयम सेवा अनुशासन का
वो देते हैं सदा प्रशिक्षण
जीने की वो कला सिखाते
सहज-सरल बनाते जीवन.
शिक्षक होते पथ प्रदर्शक
वो होते मन के आधार
मानव-मूल्यों को सिंचित करके
उर में भरते सुभग विचार.
शिक्षण के महत्त्व को समझे
सार्थक हो इनकी पहचान
बस प्रतीक का पर्व बने ना
पावन हो शिक्षक की शान.
भारती दास ✍️
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर भाव, सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद रीतू जी
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" कल रविवार 05 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद मीना जी
Deleteसुंदर, सारगर्भित तथा समसामयिक रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteउम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे
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