हिन्दू धर्म में है अटूट विश्वास
होता है जीवन मृत्यु पश्चात
पितृ पक्ष के पावन दिनों में
पितृ पूजन है बेहद खास.
श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं
जलांजलि तर्पण करते हैं
साथ बिताये उन पल क्षण को
विह्वल हो स्मरण करते हैं.
कर्मकांड नहीं होता पाखंड
करते महसूस अनुपम आनंद
जरूरत मंद को शामिल करके
दान देते हैं श्रद्धा वंत.
थे दानवीर महावीर कर्ण
जीवनभर बांटे थे वे स्वर्ण
लेकिन अपने पूर्वजों का
नहीं किये थे श्राद्ध कर्म.
वे अपना दायित्व निभाने
परिजन को श्रद्धांजलि देने
वे पृथ्वी पर पुनः आये थे
पार्वण व्रत का पालन करने.
पौराणिक ये कथाएं कहती
पितृ स्मृति भी है इक भक्ति
पूर्वजों की पुण्य तिथि पर
श्रद्धा नमन की है ये पद्धति.
सत्य यही धर्म ग्रंथ कहे
संकल्प सदा हरवक्त रहे
आडंबर ना माने इसको
कर्म हमेशा ही श्रेष्ठ रहे.
भारती दास ✍️
पूर्वजों पर श्रद्धा..
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteपितृ स्मृति भी है इक भक्ति
ReplyDeleteपूर्वजों की पुण्य तिथि पर
श्रद्धा नमन की है ये पद्धति.
सत्य यही धर्म ग्रंथ कहे
संकल्प सदा हरवक्त रहे
सही कहा पितृ देवता सम माने जाते हैं पितृ पूजन भी भक्ति ही हुआ।
बहुत सुन्दर ,सराहनीय सृजन।
बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी
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