मेघगर्जन की धुन के साथ रिम-झिम के गीतों को गाती हुई, हरियाली की चादर ओढ़कर प्रकृति सम्पूर्णता के साथ उत्सव मना रही है. सृष्टि के रचयिता के जन्म का उत्सव है. प्रकृति की इस उत्साह से जीवन के अनेक रंग सजीव हो उठती है. वातावरण में जैसे अनेकों संकेत, कई रहस्य छुपे हों ऐसा महसूस होता है.
भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. कई हजार वर्ष पूर्व भारत अत्यधिक ही सम्पन्न था. समृद्ध एवम शक्तिशाली देश था. लोगों में स्फूर्ति थी, उमंग था परन्तु बहुत दिनों तक ये स्थिर नहीं रह सका. अत्याचार बढ़ने लगा, शासक निरंकुश होने लगा, प्रजा त्रस्त हो उठी, इसी समयाकालीन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ. उस समय मथुरा का शासक कंस था. बहुत ही क्रूर स्वाभाव का था. उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को कारागार में डाल दिया क्योंकि देवकी के आठवे पुत्र से उसकी मृत्यु निश्चित थी. समयानुसार देवकी के सभी सात पुत्र कंस द्वारा मारे गए थे.
" भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में उनका जन्म हुआ था. नीरव काली डरावनी रात थी, घनघोर बरसात हो रही थी, गंभीर गर्जन के साथ दामिनी चमक जाती थी. यमुना में गरजती लहरे उन्माद की भांति शोर मचा रही थी. कंस के डर से वसुदेवजी इतनी भयावनी रात में भी जल्द से जल्द अपने मित्र के घर इस नवजात शिशु को पहुँचाना चाहते थे. भगवान की लीला से यमुना ने उन्हें रास्ता दिया और भगवान शेष ने वृष्टि से बचने के लिए अपने फन फैला दिये. गोकुल पहुँचकर वसुदेव ने देखा कि नन्द की पत्नी यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया है. इस अवसर का लाभ उठाकर वसुदेव ने अपने पुत्र को रखकर यशोदा की पुत्री को उठा लाये. कारागार के सभी द्वार फिर से बंद हो गए,सारी स्थिति पूर्ववत हो गयी. कंस उस आठवे संतान को मारने के लिए आया ये जानते हुए कि देवकी को पुत्री हुई है. उसने अपनी बहन की एक भी दर्द भरी प्रार्थना नहीं सुनी. निर्दयतापूर्वक उस शिशु को मारने के पत्थर पर पटकना चाहा कि वो आकाश में उड़ गयी और कंस को संबोधित करते हुए बोली कि उसको मारनेवाला जन्म ले लिया है वो अपनी आसुरी वृति को छोड़ दे तथा देवकी के प्रति क्रूर ना बने. ‘’
" कृष्ण-कथा से ] "
" श्री कृष्ण प्रतिभावान थे. उनहोंने कई अत्याचारियों का वध किये थे. बचपन से ही अनेक लीलाओं से लोगों को मोहित करते थे. एक पर एक आई विपत्तियों को अपनी बुद्धि-बल के द्वारा निरस्त कर देते थे. गोप-गोपी-ग्वाला के साथ आनंदित बचपन गुजारे थे. राधा उनकी प्रेमिका थी. वो विवाहिता थी इसलिए वे दोनों अपने जीवन काल में कभी मिल नहीं पाये. उनकी बांसुरी की धुन से राधा सम्मोहित होती थी. अपने कर्तव्य को वो सर्वश्रेष्ठ मानते थे. धर्म को व्यवस्थित करना चाहते थे. एक सम्पूर्ण पुरुष बनकर समाज को नयी दिशा देना चाहते थे. कौरव-पाण्डव के युद्ध में शांति-दूत बनकर गए थे लेकिन कपटी दुर्योधन ने उनकी एक न सुनी थी. उस युद्ध में भी उनहोंने धर्म के पथ चलकर पाण्डव के साथ थे.
अर्जुन को रणक्षेत्र में गीता का ज्ञान दी थी. श्री कृष्ण ने उन्हें समझाया कि मनुष्य, देह नहीं एक आत्मा है जिसे कोई भी नहीं मार सकता. आत्मा सिर्फ नये कपड़ों की तरह, नये शरीर धारण करती है. आत्मा ईश्वर का अंश रुप होती है. ये कभी वृद्ध नही होती है. मनुष्य केवल कर्तव्य कर सकता है परिणाम पर उनका अधिकार नहीं होता. परिणाम की विफलता और सफलता दोनों में समान भाव रखना चहिये. श्री कृष्ण के ये उपदेश अमृत वचन है. उनके कारण ही महाभारत का युद्ध सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है जिसमें धर्म की अधर्म पर, न्याय की अन्याय पर तथा सत्य की असत्य पर विजय हुई थी. गीता जैसी पवित्र ग्रन्थ निकली थी. "
श्री कृष्ण सभी दिव्य गुणों से सम्पन्न थे. अनगिनत प्रेम लीलाएं की थी परन्तु सदा योगी की तरह ही रहे इसीलिए उन्हें योगेश्वर भी कहा गया है. उनके चरित्र को जीवन में उतारने की कोशिश हो यही उनके जन्म-दिन पर कामना करती हूँ.
मथुरा में जन्मे थे कृष्ण
गोकुल में पले थे कृष्ण
धर्म के रथ पर, कर्म की पथ पर
जीवन भर चले थे कृष्ण .
भारती दास ✍️
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२८-०८-२०२१) को
'तुम दुर्वा की मुलायम सी उम्मीद लिख देना'(चर्चा अंक-४१७०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी
Deleteकृष्ण का साधारण मनुष्य के रूप मेंं जन्म,कर्म और संदेश मानव जाति के लिए मात्र पूजनीय न होकर अनुकरणीय भी हो तो जगत का कल्याण हो।
ReplyDeleteसादर।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी
Deleteहाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाली।
ReplyDeleteआपको जन्माष्टमी की शुभकामनायें।
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत ही सुन्दर एवं प्रेरक कथा श्रीकृष्ण के जीवन काल पर।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी
ReplyDeleteश्रीकृष्ण का जीवन हमेशा प्रेरणा देता है,बहुत आभार आपका ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteबहुत सुंदर कृष्ण कथा ,जन कल्याणकारी भाव कृष्ण जन्म का आधार है।
ReplyDeleteसुंदर।
बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी
Deleteयोगिराज श्री कृष्ण के जीवन को संक्षिप्त रूप से लिख दिया आपने ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteदिव्य कथा अनंता ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अमृता जी
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