Friday, 23 July 2021

गुरु दीप की ज्योति जैसे

 

गुरु ब्रह्म हैं गुरु रूद्र हैं

गुरु ईश अवतार हैं

गुरु की महिमा सबसे व्यापक

गुरु ज्ञान साकार हैं.

गुरु बोध हैं गुरु ध्यान हैं

गुरु सकल संस्कार हैं

गुरु दीप की ज्योति जैसे

हरते मन के विकार हैं.

गुरु वर्ण हैं गुरु सृजन हैं

गुरु स्वरूप भगवान हैं

गुरु तपन हैं गुरु नमन हैं

गुरु मोक्ष का नाम हैं.

कुंभकार का रुप गुरु हैं

गुरु श्रेष्ठ सम्मान हैं

जीवन सीख से पोषित करते

हम करते उन्हें प्रणाम हैं.

भारती दास ✍️

26 comments:

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी
      गुरु पूर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएं

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२४-०७-२०२१) को
    'खुशनुमा ख़्वाहिश हूँ मैं !!'(चर्चा अंक-४१३५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी
      गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनुपमा जी
      गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन!
    गुरू है, तो ज्ञान है!
    ज्ञान है तो गुरू!!
    हर गुरू होतें हैं गुरू से रूबरू! सभी गुरूओं को शत् शत् नमन 🙏

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    1. धन्यवाद मनीषा जी

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  5. गुरु पूर्णिमा पर हार्दिक शुभकामनायें !

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  6. बहुत बहुत सुन्दर

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  7. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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    1. धन्यवाद अनुराधा जी

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  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

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  9. धन्यवाद जिज्ञासा जी

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  10. गुरु की महिमा अनंत है
    बहुत सुन्दर सामयिक रचना

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  11. धन्यवाद कविता जी

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  12. गुरु सर्वस्य है, गुर सर्वत है ... गुरु की महिमा अपरम्पार है और आपने इस लाजवाब रचना के ज़रिये आपने बाखूबी गुरु की महिमा का गान किया है ...

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  13. बहुत सुंदर।

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  14. धन्यवाद ज्योति जी

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