यह जीवन एक कल्पवृक्ष है
जो दुर्लभ रुप से मिलते हैं
"ईश्वर अंश जीव अविनाशी"
ऋषि मुनि भी कहते हैं.
अद्वितीय सी कृति ब्रह्म की
अद्भुत कार्य सब करते हैं
लक्ष्य अगर ना हो जीने का
पशुवत जीवन जीते हैं.
सबसे अलग विशिष्ट बनाते
उपलब्धि वो पाते हैं
बहुमूल्य सा हर एक पल को
उम्मीद बना हर्षाते हैं.
आत्मदेवता की अराधना
जो निर्मल मन से करते हैं
स्वस्थ चिंतन-मनन की शक्ति
उनमें सहज ही रहते हैं.
मात्र स्वार्थ वृत्ति के कारण
वो दानव कहलाते हैं
अहंकार का साधन बनकर
चैन कभी ना पाते हैं.
अनंत देव हैं सर्वश्रेष्ठ है
निरोगी काया का उपहार
भगवान सदा ही खुश होते हैं
बरसाते उनपर उपकार.
भारती दास ✍️
सार्थक संदेश देती रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत अच्छी और सुंदर कविता
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteसुंदर,संदेशपूर्ण और प्रेरक रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteबहुत सुन्दर संदेश लिए सुन्दर सृजनात्मकता ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteधन्यवाद पम्मी जी
ReplyDeleteसुन्दर कविता, सब कुछ संभव है इस जीवन से।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteसही सटीक! मानव सच में विधाता की अद्भुत कृति है और वो श्रेष्ठता से जीवन जीता हो तो संसार मंगलमई हो सकता है।
ReplyDeleteसुंदर भाव सृजन।
धन्यवाद कुसुम जी
Deleteलक्ष्य अगर ना हो जीने का
ReplyDeleteपशुवत जीवन जीते हैं.
सबसे अलग विशिष्ट बनाते
उपलब्धि वो पाते हैं
बहुत ही सुन्दर संदेशप्रद लाजवाब सृजन
वाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन।
ReplyDeleteसादर।
धन्यवाद श्वेता जी
Deleteएक सुंदर पेशकश आपकी आदरणीय ।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद सर
Deleteबहुत बहुत सराहनीय
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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