Friday, 16 July 2021

यह जीवन एक कल्पवृक्ष है

  यह जीवन एक कल्पवृक्ष है

 जो दुर्लभ रुप से मिलते हैं

"ईश्वर अंश जीव अविनाशी"

ऋषि मुनि भी कहते हैं.

अद्वितीय सी कृति ब्रह्म की

अद्भुत कार्य सब करते हैं

लक्ष्य अगर ना हो जीने का

पशुवत जीवन जीते हैं.

सबसे अलग विशिष्ट बनाते

उपलब्धि वो पाते हैं

बहुमूल्य सा हर एक पल को

उम्मीद बना हर्षाते हैं.

आत्मदेवता की अराधना

जो निर्मल मन से करते हैं

स्वस्थ चिंतन-मनन की शक्ति

उनमें सहज ही रहते हैं.

मात्र स्वार्थ वृत्ति के कारण

वो दानव कहलाते हैं

अहंकार का साधन बनकर

चैन कभी ना पाते हैं.

अनंत देव हैं सर्वश्रेष्ठ है

निरोगी काया का उपहार

भगवान सदा ही खुश होते हैं

बरसाते उनपर उपकार.

भारती दास ✍️


27 comments:

  1. सार्थक संदेश देती रचना ।

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  2. धन्यवाद संगीता जी

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  3. बहुत सुंदर भाव।

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  4. धन्यवाद सर

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  5. बहुत अच्छी और सुंदर कविता

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  6. सुंदर,संदेशपूर्ण और प्रेरक रचना।

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    1. धन्यवाद जिज्ञासा जी

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  7. बहुत सुन्दर संदेश लिए सुन्दर सृजनात्मकता ।

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  8. धन्यवाद मीना जी

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  9. बहुत सुन्दर रचना

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  10. धन्यवाद पम्मी जी

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  11. सुन्दर कविता, सब कुछ संभव है इस जीवन से।

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  12. सही सटीक! मानव सच में विधाता की अद्भुत कृति है और वो श्रेष्ठता से जीवन जीता हो तो संसार मंगलमई हो सकता है।
    सुंदर भाव सृजन।

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    1. धन्यवाद कुसुम जी

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  13. लक्ष्य अगर ना हो जीने का
    पशुवत जीवन जीते हैं.
    सबसे अलग विशिष्ट बनाते
    उपलब्धि वो पाते हैं
    बहुत ही सुन्दर संदेशप्रद लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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  14. बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन।
    सादर।

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    1. धन्यवाद श्वेता जी

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  15. एक सुंदर पेशकश आपकी आदरणीय ।
    सादर

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  16. बहुत बहुत सराहनीय

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  17. धन्यवाद सर

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