निज संस्कृति में
बसी दीवाली
खुशियों की है
प्रतीक दीवाली
सुन्दर सुखमय
दीपों की अवली
रोशन करती घर और
देहली
स्नेह के तेल में
भीगती है बाती
दीपमालिका दिखती
है अनूठी
निष्ठुरता को
त्यागकर
आत्मज्योति को
दीप्तकर
निर्जन रजनी को
हरषाने
कोने-कोने का
तिमिर मिटाने
जीवन पथ आलोकित
करने
अंतर्मन को
प्रकाशित करने
तिल-तिल कर हरपल
जलता है
औरों को रोशन
करता है
चेतना का उद्घोष
है दीपक
संघर्षों का जोश
है दीपक
जज्बातों की आश
है दीपक
निराश मन की
प्रकाश है दीपक.
HAPPY DIWALI
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