स्व-अवलोकन करके बताएं
फिर हम अपना पर्व मनाएं
संस्कृति का ये दीप सुनहरा
यत्र - तत्र - सर्वत्र
जलाएं
ये दीपक की बद्ध कतार
है सुन्दर अपना उपहार
अंधकार को परे हटाकर
आलोकित करते घर –द्वार
विघ्न –विनाशक गणपति पूजन
विष्णु प्रिया लक्ष्मी का अर्चन
मनवांछित वर हमें मिले
जन करते कर –जोड़ निवेदन
आलोक उमंग उल्लास का पर्व
आस्था श्रद्धा विश्वास का पर्व
सद-चिंतन स्वाभिमान के संग
सहर्ष मनाएं प्रकाश का पर्व.
मित्रों दिवाली की शुभ संध्या पर,हार्दिक शुभकामना.
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