प्रकृति का रंग है निखरा
खुशी भी मन में है पसरा
आयेंगे राम निज आंगन
दमकता है सभी चेहरा....
मही भी आज हर्षित है
कथा सरयू यह कहती है
प्रतीक्षा थी ये बरसों की
विकल पल था कहीं ठहरा....
भक्त साधक जो हारे थे
धर्म बाधक हजारों थे
आश का सूर्य जब निकला
मिटा है क्लेश भी गहरा....
सिया रघुवर भवन आये
परम पावन चरण लाये
गुणों के धाम राघव नाम
मनोरम मंत्र है प्यारा....
भारती दास ✍️
जय श्री राम बेहद खूबसूरत और मनभावन रचना आदरणीया
ReplyDeleteधन्यवाद अभिलाषा जी
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteजय श्री राम
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
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