उत्साह अनंत है गात-गात में
खुश रंग सजा है नव प्रभात में.
मनहर सुखकर शांत प्रकृति
सौन्दर्यमयी है अरुणिम प्राची
कुसुम सुवास है सांस-सांस में
खुश रंग सजा है नव प्रभात में....
आंचल में ऊषा समेट लाई
स्वर्ण किरण मोहक अलसाई
मुखरित है कलरव तरू पांत में
खुश रंग सजा है नव प्रभात में....
सुर-संस्कृति अब उदित हुई है
सुख शासन नव विदित हुई है
विभव विपुल है ग्राम प्रांत में
खुश रंग सजा है नव प्रभात में....
सत्य चिरन्तन अभिनव अनुपम
सृष्टि के कण-कण में जीवन
प्रफुल्ल हृदय है श्री राम आस में
खुश रंग सजा है नव प्रभात में....
भारती दास ✍️
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteवाह.
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteवाह! खूबसूरत सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद शुभा जी
Deleteजय श्री राम
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteवाह! सुंदर रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद रुपा जी
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