दीप पर्व है सहजीवन की
एकत्व की कामना करते हैं
श्री गणेश मां लक्ष्मी की
सुभग अराधना करते हैं.
निविड़ तिमिर को चीरता दीपक
झिलमिल जगमग कर देता है
देहरी आंगन चित्त के अंदर
प्रकाश अनंत भर देता है.
उमंग उल्लास का उत्सव हो
लोग सभी यह कहते हैं
आत्मबल सदा संपन्न बने
संघर्ष सदैव ही करते हैं.
महलों को आलोकित करते
बल्ब असंख्य जलाते हैं
दयनीय दीपक कुंठित हो कर
दीनों की कुटिया सजाते हैं.
चंचल चपला मंजू मुखी मां
हर कुटीर में जाती है
निराश नयन में आशा भरकर
आशीष प्रदान कर जाती है.
अपने-अपने सामर्थ्य जुटाकर
विष्ण-प्रिया का अभिनंदन करते
कतारबद्ध हो दीपक जलते
खुशियों की रश्मियां बिखरते.
सूने-सूने मन के अंदर
ज्योति कांति भर जाती है
उदास अधर को हर्षित करके
संदेश मुखर कर जाती है.
भारती दास ✍️
सुन्दर | शुभकामनाएं दीप पर्व पर |
ReplyDeleteआपको भी पंच-उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteज्योति की यह कांति सदा बनी रहे, शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteआपको भी पंच-उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
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