ह्रदय के सुन्दरतम भूमि में
जिनके बुद्धि हुये महान
मेघ रूप वो साधु बनकर
बरसाये मंगल घट गान.
सुन्दर शीतल सुखदाई सम
मानसरोवर के वो नाम
मंगलकारी तुलसी जी के
मानस में रहते हैं राम.
जनहित के हर सूत्र पिरोकर
युग प्रश्नों का कर समाधान.
भक्ति साधना की अनुभूति से
निहाल होते हैं विवेकवान.
बहुरंगे कमलों का दल हो
वैसे ही दोहा छंद की पंक्ति
सुन्दर भाव अनुपम सी भाषा
जैसे पराग सुगंध की शक्ति.
बंधकर भी निर्बंध रहे जो
मोहपाश में कभी ना आये
कष्ट सहिष्णु परम भक्त वो
खल गण के भी उर में समाये.
निर्मल मन ही वह माली है
जिस पर ज्ञान का लगता फूल
भगवत्प्रेम के जल से सींचकर
कुटिल मन होते अनुकूल.
मानस के सातों सीढी से
जीवन सार दिये हैं सबको
रामचरित को रचने वाले
उनके चरणों में नमन अनेकों.
भारती दास ✍️
तुलसी की लेखनी को शत शत नमन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी
ReplyDelete