Thursday, 9 June 2022

गंगा गीत

       सुनो हे माँ मेरे उर की तान

       क्यों मुँह फेरी गैर नहीं हूँ

        तेरी हूँ संतान,सुनो हे.....             

        दुखिता बनकर जीती आई

      पतिता बनकर शरण में आई

     मुझ पर कर एहसान,सुनो हे......

       मोक्ष-दायिनी पाप-नाशिनी

      कहलाती संताप-हारिणी

       प्रेम का दे दो दान,सुनो हे......

       शांति-सद्गति सब-कुछ देती

      जन-जन करते तेरी भक्ति

      करके हरपल ध्यान,सुनो हे.......

        पुण्यमयी तेरी जल-धारा

        तूने सगर पुत्रों को तारा   

       तेरी महिमा महान,सुनो हे.......

        तेरी सुमिरन जो भी करते

          नर नारी सब मुक्ति पाते

          तू शिव की वरदान,सुनो हे.......

भारती दास ✍️




16 comments:

  1. गंगा दशहरा की शुभकामनाएँ । सुंदर सृजन

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    1. धन्यवाद संगीता जी

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  2. वाह गंगा दशहरा पर अति सुंदर प्रस्तुति !!

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    1. धन्यवाद अनुपमा जी

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  3. सुनो हे माँ मेरे उर की तान

    क्यों मुँह फेरी गैर नहीं हूँ

    तेरी हूँ संतान,सुनो हे.....
    मां गंगा को समर्पित बहुत ही सुन्दर सृजन,,सादर नमस्कार भारती जी 🙏

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    1. धन्यवाद कामिनी जी

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  4. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। बहुत शुभाकामनाएं ।

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    1. धन्यवाद जिज्ञासा जी

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  5. भक्तिभाव में डूबा सुंदर गीत

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  6. धन्यवाद अनीता जी

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  7. दुखिता बनकर जीती आई

    पतिता बनकर शरण में आई

    मुझ पर कर एहसान,सुनो हे......
    बहुत ही भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी गीत।

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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  8. भावपूर्ण ... माँ के चरणों में समर्पित भाव ... गहरा प्राकतिक सन्देश लिए ...

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  9. धन्यवाद सर

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  10. गंगा दशहरा की शुभकामनाएं

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  11. धन्यवाद सर

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