Sunday, 12 June 2022

बाल-कविता

 

बाय-बाय नानी बाय-बाय दादी
ख़त्म हुयी सारी आजादी...
इतनी सुन्दर इतनी प्यारी
बीत गयी छुट्टी मनोहारी
खुल़े हैं स्कूल ख़ुशी है आधी
खत्म हुयी सारी आजादी ...
तेज धूप में दौड़ लगाते
मीठे आम रसीले खाते
अब बस्तों ने नींद उड़ा दी
ख़त्म हुयी सारी आजादी...
बहुत हुयी मौजे मनमानी
अनगिनत मस्ती शैतानी
अब उमंग पढने की जागी
ख़त्म हुयी सारी आजादी ...     

भारती दास ✍️










16 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को
    'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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    1. धन्यवाद अनुपमा जी

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  3. सचमुच गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होने को होती है तो ऐसे ही भाव उमड़ते हैं बच्चों में ।
    सुंदर सृजन।

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    1. धन्यवाद कुसुम जी

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  4. दादी-नानी के घर छुट्टियां बिताने के बाद किस महान बालक-बालिका में पढ़ने की उमंग जागती है? हम तो अपने बचपन में छुट्टियाँ ख़त्म होने पर भगवान से यही मनाते थे कि हम कुछ दिन और बंधन-मुक्त मस्ती कर लें.

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  5. धन्यवाद सर

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  6. बहुत सुंदर

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  7. धन्यवाद सर

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  8. मनमोहक बाल कविता ।

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    1. धन्यवाद मीना जी

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  9. बहुत सुंदर बालगीत, भारती दी।

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  10. धन्यवाद ज्योति जी

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  11. सुंदर बाल गीत

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  12. धन्यवाद अनीता जी

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