बाय-बाय नानी बाय-बाय दादी
ख़त्म हुयी सारी आजादी...
इतनी सुन्दर इतनी प्यारी
बीत गयी छुट्टी मनोहारी
खुल़े हैं स्कूल ख़ुशी है आधी
खत्म हुयी सारी आजादी ...
तेज धूप में दौड़ लगाते
मीठे आम रसीले खाते
अब बस्तों ने नींद उड़ा दी
ख़त्म हुयी सारी आजादी...
बहुत हुयी मौजे मनमानी
अनगिनत मस्ती शैतानी
अब उमंग पढने की जागी
ख़त्म हुयी सारी आजादी ...
भारती दास ✍️
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को
'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
धन्यवाद अनीता जी
Deletewaah behtareen !!
ReplyDeleteधन्यवाद अनुपमा जी
Deleteसचमुच गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होने को होती है तो ऐसे ही भाव उमड़ते हैं बच्चों में ।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
धन्यवाद कुसुम जी
Deleteदादी-नानी के घर छुट्टियां बिताने के बाद किस महान बालक-बालिका में पढ़ने की उमंग जागती है? हम तो अपने बचपन में छुट्टियाँ ख़त्म होने पर भगवान से यही मनाते थे कि हम कुछ दिन और बंधन-मुक्त मस्ती कर लें.
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteमनमोहक बाल कविता ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत सुंदर बालगीत, भारती दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी
ReplyDeleteसुंदर बाल गीत
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
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