आभार व्यक्त करते हैं उनको
जिनके सेवा से मिलता जीवन
रात-दिन और आठों पहर
जो करते हैं कठिन परिश्रम.
स्पंदन भरने को उर में
निज अस्तित्व को भूल जाते हैं
धर्म है जिनका सांसे बचाना
यमराज के आगे अड़ जाते हैं.
वो भगवान के रूप हैं केवल
भाग्य नहीं बदल सकते हैं
कभी कभी ईश्वर की मर्जी
उन्हें विफल करते रहते हैं.
मेहनत की उनकी कद्र न करते
लोग उन्हें पहुंचाते ठेस
भावनाओं को आहत करते
भरते उर में पीड़ा व क्लेश.
शालीनता ये दर्शाती है
चिकित्सक भी होते इंसान
संवेदनशील वो रहते हरदम
कर्तव्यनिष्ठ होते सुबहो शाम.
भारती दास ✍️
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 01 जुलाई 2022 को 'भँवर में थे फँसे जब वो, हमीं ने तो निकाला था' (चर्चा अंक 4477) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद अनीता जी
Deleteधर्म है जिनका सांसे बचाना
ReplyDeleteयमराज के आगे अड़ जाते हैं.
वो भगवान के रूप हैं केवल
भाग्य नहीं बदल सकते हैं
चिकित्सक वाकई भगवान का रूप हैं कुछ एक अपवादों को छोड़कर बाकी तो वाकई उनकी संवेदनशीलता एवं अथक परिश्रम को नमन।
बहुत सुन्दर सृजन ।
धन्यवाद सुधा जी
Deleteडॉक्टर दिवस पर सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteसचमुच जीवन को स्वस्थ रखने में सहायक चिकित्सकों को हृदय से नमन।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति।
सादर।
धन्यवाद श्वेता जी
ReplyDeleteसराहनीय सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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