छाया जिनकी शीतल सुखकर
मोहक छांव ललाम
ऐसे देवतरु को प्रणाम
खगकुल सारे नीड़ बनाते
पशु पाते विश्राम
ऐसे देवतरु को प्रणाम.....
ब्रह्मा शंकर हरि विराजे
साधक जहां पर मन को साधे
सच्चे निर्मल सुंदर चित्त से
पूजते लोग तमाम
ऐसे देवतरु को प्रणाम....
सुहाग सदा ही रहे सलामत
हो आंचल में हर्ष यथावत
पुष्प दीप प्रसाद चढ़ाकर
गाते मंगल गान
ऐसे देवतरु को प्रणाम....
सत्यवान को प्राण मिला था
नव जीवन वरदान मिला था
अक्षय सौभाग्य जहां पर पाई
नारी श्रेष्ठ महान
ऐसे देवतरु को प्रणाम
भारती दास ✍️
वट सावित्री पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार( 11-06-2021) को "उजाले के लिए रातों में, नन्हा दीप जलता है।।" (चर्चा अंक- 4092) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी
Deleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteधन्यवाद अनुपमा जी
Deleteछाया जिनकी शीतल सुखकर
ReplyDeleteमोहक छांव ललाम
ऐसे देवतरु को प्रणाम
खगकुल सारे नीड़ बनाते
पशु पाते विश्राम
ऐसे देवतरु को प्रणाम.....
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति,तरुवर का महत्व समझाती लाजबाब सृजन ,सादर नमन आपको
धन्यवाद कामिनी जी
Deleteगहन और सार्थक लेखन...।
ReplyDeleteधन्यवाद संदीप जी
Deleteसमसामयिक तथा वृक्ष देवता को मन में उतरती सुंदर रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteवटवृक्ष की पूजा एक प्रतीक है प्रकृति के प्रति हमारी कृतज्ञता को व्यक्त करने का। स्त्रियों द्वारा इसकी पूजा करने का मनोवैज्ञानिक कारण भी है कि वटवृक्ष विशाल है उसी तरह उनका वंशवृक्ष भी फूले फले और विशाल हो। बाकी धार्मिक महत्त्व तो है ही। बहुत सुंदर रचना इस पवित्र वृक्ष की महत्ता को स्पष्ट करती हुई।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteछाया जिनकी शीतल सुखकर
ReplyDeleteमोहक छांव ललाम
ऐसे देवतरु को प्रणाम
खगकुल सारे नीड़ बनाते
पशु पाते विश्राम
ऐसे देवतरु को प्रणाम.....
वटवृक्ष की महिमा एवं महत्ता बयां करती बहुत ही सुन्दर लाजवाब कृति...
वाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अनुराधा जी
ReplyDeleteइसी बहाने प्रकृति से जुड़ना होता है लोगों का
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
धन्यवाद कविता जी
ReplyDeleteवाह! सराहनीय सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
धन्यवाद अनीता जी
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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