रुके-रुके से थके-थके से
कदम जोश से बढ़ेंगे फिर से
कई विघ्न के शिला पड़े थे
समस्त तन-मन हंसेंगे फिर से.....
तड़प-तड़प कर सहम-सहम कर
रात-दिन यूं ही कट रहे थे
उम्मीद आश की लिये पड़े थे
वासंती पुष्पें खिलेंगे फिर से.....
इंद्रधनुष की बहुरंगों सी
विचरते चित्त में भाव कई सी
द्वन्द के साये में जी रहे थे
सुनहरे पल-क्षण मिलेंगे फिर से.....
मैं कृतज्ञ हूं हे परमेश्वर
धन्यवाद करती हूं ईश्वर
अंधकार पथ में बिखरे थे
छंद आनंद के लिखेंगे फिर से.....
भारती दास ✍️
आशा से भरी बेहतरीन कविता।
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏
बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteआशाएं जीवन को सार्थक बना देती हैं, सुन्दर सृजन, होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
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ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति और होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं टीम सुगना फाउंडेशन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteसकारात्मक रचना ... आप अपने ब्लॉग पर फ़ॉलो करने वाला गेजेट लगायें ... तभी आपके ब्लॉग तक पहुंचना सरल हो पायेगा ...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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