कवि मन यूं विचलित न होना
चित्त विकल हो,नेत्र सजल हो
दर्द अनंत हो ढोना,
कवि मन यूं विचलित न होना....
शब्द वाण से आहत होकर
व्याकुलता घबराहट भरकर
किन्चित चैन न खोना,
कवि मन यूं विचलित न होना....
सूर्य चंद्र अवलोक रहा है
किसको कहो ना क्षोभ रहा है
पीड़ित दुखित न रोना,
कवि मन यूं विचलित न होना....
व्यर्थ ना हठ कर, संकट मत कर
जीवन के कंटक-मय पथ-पर
व्यथित न कर उर-कोना,
कवि मन तू यूं विचलित न होना....
भारती दास ✍️
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कवि मन यूं विचलित न होना,
ReplyDeleteचित्त विकल हो,नेत्र सजल हो,
दर्द अनंत हो, ढोना,
कवि मन यूं विचलित न होना..
शानदार लेखन....बहुत-बहुत प्रभावशाली ....
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 14 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दिव्या जी
ReplyDeleteकवि कभी विचलित हुआ न होगा।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
नई रचना समानता
बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteअतिउत्तम रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteकवि को सच विचलित न होकर धैर्य से किसी भी विषय का अवलोकन करके ही लेखनी उठानी चाहिए ।
पर कवि धैर्य रख नहीं पाता जिस समय भाव उमड़ते हैं उसी समय लिख दे तो ठीक वर्ना सब गुड़मुड़ हो जाता है।
बहुत बहुत सुंदर सृजन है आपका मन मोह गया।
सस्नेह।
बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद मीना जी
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और कवियों के लिए प्रेरक गीत..सुंदर सृजन..।
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteकवि मन बहुत ही संवेदनशील होता हैं अक्सर शब्दबाणों से घायल हो जाता है पर उसकी कविता का प्रवाह उसके साथ-साथ कितने ही हृदयों को दर्द बहा ले जाता है और कवि फिर से निर्भय निर्मल अपने काव्यसंसार में अपने सृजन को जोड़ता चला जाता है...।
ReplyDeleteलाजवाब सृजन।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteवाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी
Deleteमुग्ध करती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteदर्द, व्याकुलता और जीवन की कठिनाइयां आती रहती हैं ... कवि मन को विचलित हुए बिना सब कुछ कहना है ... संबाद रखना है ... सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत अच्छा सृजन है आपका...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🙏🍁🙏
बहुत बहुत धन्यवाद वर्षा जी
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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