Saturday, 28 November 2020

गुजरते हैं सुखों के क्षण

 

गुजरते हैं सुखों के क्षण
दुखों के पल गुजर जाते
समय की तय है सीमायें
सदा वो पल नहीं रहते....
गमों से जो नहीं डरते
सुखों में भी वही जीते
नहीं तो दर्द-पीड़ा-गम
मन झकझोर देते हैं....
ये रिश्ते हैं ये नाते हैं
ये बनते हैं बिगड़ते हैं
कभी देते हंसी में संग
कभी मुंह मोड़ लेते हैं....
जरा सोचें जरा समझें
यही जीवन है ये जानें
देते हैं हमें वो सीख
जो ज्यादा शोर करते हैं....
बहारें ये सिखाती है
पतझड़ भी तो साथी है
जीये हरदम सहज होकर
कठिन जब दौर होते हैं....
गुजरते हैं....
दुखों के....
भारती दास



 

 

25 comments:

  1. गुजरते ही हैं । सुन्दर सृजन।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 30 नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी

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  6. वाह!जीवन -दर्शन से सुसज्जित सुंदर रचना ।

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  7. बहुत बहुत धन्यवाद शुभा जी

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  8. बहुत सुंदर! गहन जीवन दर्शन।
    अप्रतिम।

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    1. आपको बहुत बहुत धन्यवाद

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  9. बहुत सुन्दर सृजन ।

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद कामिनी जी

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  11. बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी

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  12. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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  13. अति सुन्दरता एवं सहजता से जीवन गाथा कहा है । अति सुन्दर । ्

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  14. बहुत बहुत धन्यवाद

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  15. ये रिश्ते हैं ये नाते हैं
    ये बनते हैं बिगड़ते हैं
    कभी देते हंसी में संग
    कभी मुंह मोड़ लेते हैं....
    जीवन का सबसे विस्मयकारी अनुभव। सही लिखा है आपने। अपनों को छोडकर, गैरों में अपना ढूंढते रहना ही जीवन है शायद।

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  16. बहारें ये सिखाती है
    पतझड़ भी तो साथी है
    जीये हरदम सहज होकर
    कठिन जब दौर होते हैं....
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर सार्थक जीवन दर्शन।

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    1. धन्यवाद सुधा जी

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  17. सच है ... सुख दुःख आने जाने हैं और जीवन का अभिन्न अंग हैं ... इन सबको पार करना है ... जीवन का सार्त्थक सन्देश देती रचना ...

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  18. बहुत बहुत श्लाघनीय सुन्दर रचना -- भावाभिव्यक्ति के रूप में भी और अभिव्यक्ति के रूप में भी | शुभ कामनाएं |

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  19. धन्यवाद सर

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