गुजरते हैं सुखों के क्षण
दुखों के पल गुजर जाते
समय की तय है सीमायें
सदा वो पल नहीं रहते....
गमों से जो नहीं डरते
सुखों में भी वही जीते
नहीं तो दर्द-पीड़ा-गम
मन झकझोर देते हैं....
ये रिश्ते हैं ये नाते हैं
ये बनते हैं बिगड़ते हैं
कभी देते हंसी में संग
कभी मुंह मोड़ लेते हैं....
जरा सोचें जरा समझें
यही जीवन है ये जानें
देते हैं हमें वो सीख
जो ज्यादा शोर करते हैं....
बहारें ये सिखाती है
पतझड़ भी तो साथी है
जीये हरदम सहज होकर
कठिन जब दौर होते हैं....
गुजरते हैं....
दुखों के....
भारती दास ✍️
|
गुजरते ही हैं । सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 30 नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी
Deleteवाह!जीवन -दर्शन से सुसज्जित सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद शुभा जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर! गहन जीवन दर्शन।
ReplyDeleteअप्रतिम।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद कामिनी जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद मीना जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteअति सुन्दरता एवं सहजता से जीवन गाथा कहा है । अति सुन्दर । ्
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteये रिश्ते हैं ये नाते हैं
ReplyDeleteये बनते हैं बिगड़ते हैं
कभी देते हंसी में संग
कभी मुंह मोड़ लेते हैं....
जीवन का सबसे विस्मयकारी अनुभव। सही लिखा है आपने। अपनों को छोडकर, गैरों में अपना ढूंढते रहना ही जीवन है शायद।
धन्यवाद सर
Deleteबहारें ये सिखाती है
ReplyDeleteपतझड़ भी तो साथी है
जीये हरदम सहज होकर
कठिन जब दौर होते हैं....
वाह!!!
बहुत सुन्दर सार्थक जीवन दर्शन।
धन्यवाद सुधा जी
Deleteसच है ... सुख दुःख आने जाने हैं और जीवन का अभिन्न अंग हैं ... इन सबको पार करना है ... जीवन का सार्त्थक सन्देश देती रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत बहुत श्लाघनीय सुन्दर रचना -- भावाभिव्यक्ति के रूप में भी और अभिव्यक्ति के रूप में भी | शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDelete