Friday, 13 November 2020

दीपों की पंक्ति कहती हैं

 



अंतर मन का यही सपना है
एक नेह का दीपक जलता रहे
ना शोर मचे ना होड़ चले
घर-आंगन का तम मिटता रहे.
दहलीज सभी का रोशन हो
तिमिर कभी ना अथाह रहे
स्नेह रहित ना संवेदन हो
जुड़े सदा मन चाह रहे.
ये पर्व प्रभा का महज ना हो
सर्वत्र सहज लालित्य रहे
चिंतन में किरण का उत्सव हो
एकता का शुभ सौंदर्य रहे.
परिवर्तन संभव हो न सके
बदलाव उजास की होता रहे
बल्वों की चादर चमके मगर
महत्ता दीपक की खास रहे.
समरसता का उत्सव है ये
ऊर्जा-आभा-सम्मान रहे
दीपों की पंक्ति कहती है
व्यक्ति में ना अभिमान रहे.
भारती दास ✍️
दीवाली पंचमहोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं



 

 

11 comments:

  1. आपको भी दिवाली की शुभकामनाएं

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2020) को   "गोवर्धन पूजा करो"   (चर्चा अंक- 3886 )     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    दीपावली से जुड़े पञ्च पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  3. दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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  4. धन्यवाद, दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद

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  6. हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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    1. धन्यवाद अमृता जी

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  7. धन्यवाद सर

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