अंतर मन का यही सपना है
एक नेह का दीपक जलता रहे
ना शोर मचे ना होड़ चले
घर-आंगन का तम मिटता रहे.
दहलीज सभी का रोशन हो
तिमिर कभी ना अथाह रहे
स्नेह रहित ना संवेदन हो
जुड़े सदा मन चाह रहे.
ये पर्व प्रभा का महज ना हो
सर्वत्र सहज लालित्य रहे
चिंतन में किरण का उत्सव हो
एकता का शुभ सौंदर्य रहे.
परिवर्तन संभव हो न सके
बदलाव उजास की होता रहे
बल्वों की चादर चमके मगर
महत्ता दीपक की खास रहे.
समरसता का उत्सव है ये
ऊर्जा-आभा-सम्मान रहे
दीपों की पंक्ति कहती है
व्यक्ति में ना अभिमान रहे.
भारती दास ✍️
दीवाली पंचमहोत्सव की हार्दिक
शुभकामनाएं
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दीप पर्व शुभ हो।
ReplyDeleteआपको भी दिवाली की शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2020) को "गोवर्धन पूजा करो" (चर्चा अंक- 3886 ) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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दीपावली से जुड़े पञ्च पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
ReplyDeleteधन्यवाद, दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर |
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteधन्यवाद अमृता जी
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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