Thursday, 2 April 2020

अभियान सफल हो अब भूतल में


धर्मगुरू की अनुचित बात
दुष्कर्म कृत्य की बनी विसात
भीषण संहार का प्रवाह बनकर
फैल रहा है दिन और रात.
विध्वंस नाश ये क्लेश ये पीड़ा
हाहाकार मचा जग सारा
विश्व विषाद से जूझ रहा है
हुआ पराजित सुरक्षा घेरा.
दुराचार की निर्ममता हाय
इस दीन दशा का क्या हो उपाय
रुधिर बलि की भूमिका रचकर
आहत किया धार्मिक समुदाय.
कोरोना की बढ़ती रफ्तार
चिन्ता-ग्रस्त हुआ संसार
मानवता की धर्म निभाकर
स्वदेश प्रेम का करे विचार.
जीवन में आशों को बढ़ाते
स्पंदन सांसों का बचाते
सेवा समर्पण अर्पण करके
नयनों में ख्वाबों को सजाते.
कर्मसाधना जिनकी हो अपार
वो सेवा कर्मी क्यों खाते मार
नही देखते जात-पात वो
करते हैं सबका उपचार.
प्रहर दिवस ये पुलिस हमारे
रक्षक बनकर देते सहारे
अनुनय विनय से समझाते हैं
रहे सुरक्षित घर में सारे.
संकट के क्षण में घिरे हैं
विपद घड़ी के जाल पड़े हैं
यही समय है साथ खड़े हो
शुभ संकल्प जो मन में भरे हैं.
भवन के अंदर सुख शीतल में
आनंद से बैठे स्नेहिल पल में
दृढ प्रतिज्ञ कर लें अंतर में
अभियान सफल हो अब भूतल में.
भारती दास






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