आदर्श की पराकाष्ठा
राष्ट्र की आस्था
सनातन की आत्मा
भक्ति की भावना।
जीवन के आरंभ में
मध्य और अंत में
सत्य तथा संघर्ष में
तुलसी जी के छंद में।
तारक मंत्र राम ही
भक्त आराधक राम ही
समर्थ शासक राम ही
परलोक सुधारक राम ही।
दानशील प्राणसाधक
धर्मशील प्रजापालक
समस्त गुणाधार व्यापक
दुष्ट-खल चित्त के संहारक।
प्रियजन पुरजन में श्री राम
गुरुजन सज्जन में विद्यमान
एकता समता में अभिराम
करूणा ममता में हैं अविराम।
दुःख में सुख में मुख में राम
जाति वर्ग में मित्र में राम
हर जन के मन में भगवान
दिव्य सौम्य सुंदर श्री राम ।
भारती दास ✍️
सुंदर चित्रण
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteजय श्री राम
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
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