Monday, 14 August 2023

हे भारत के संतान श्रेष्ठ

कुछ अनुभूति अंकुरित हुई है 

नव स्फूर्ति विस्तरित हुई है

हे शुभ प्रभात के बाल-श्रेष्ठ

महसूस करो क्या विदित हुई है.

शुभ कर्म करो ना शर्म करो 

संकल्प करो ना विकल्प धरो 

हे लोकहित कल्याण-श्रेष्ठ 

कर्णधार बनो ना प्रहार करो.

बहुत सो चुके बहुत खो चुके 

अब देर करो ना बहुत रो चुके 

हे चेतना के ज्ञान-श्रेष्ठ 

फिर निजता में क्यों सिमट चुके.

यों डरते रुकते ठहरों ना 

आग बढ़कर अब सोचो ना 

हे नव जीवन के प्राण-श्रेष्ठ

बनो समर्थ यूँ ही भटको ना.

अपने अन्दर चिंगारी भर लो 

जोश उमंग बस सारी भर लो

हे शक्तिवान बलवान-श्रेष्ठ 

प्रचंड वेग हितकारी भर लो.

प्रभु की शक्ति साथ खड़ी है 

आशीष की बारिश बरस रही है 

हे भारत के संतान-श्रेष्ठ

समय की धारा बीत रही है.

भारती दास ✍️

8 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१६-०८-२०२३) को 'घास-फूस की झोंपड़ी'(चर्चा अंक-४६७७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  3. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर प्रेरक सृजन
    शुभ कर्म करो ना शर्म करो

    संकल्प करो ना विकल्प धरो

    हे लोकहित कल्याण-श्रेष्ठ

    कर्णधार बनो ना प्रहार करो.

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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