एहसास मुझको है अनेकों
है अनगिनत अनुभूतियाँ
है अनोखी पुलक भरी
ह्रदय में स्मृतियाँ.
स्नेहिल स्मरण से भरे हैं
ये मेरे मन और प्राण
माँ तुम्ही से है भरे
उर में सपनों की जहान.
यादों के घन सघन बन
उमड़ पड़ते हैं पलक पर
बरस पड़ते हैं वहीं से
नयन ये दोनों मचल-कर.
जीवन विकल होती अगर
तो याद होती है दवा
तुम्हारे स्नेह का आँचल
हमें देती है शक्ति सदा.
हर चोट में हर क्षोभ में
केवल तुम्ही हो पास माँ
लगता हमें हर दर्द की
हरपल तुम्ही हो आस माँ.
छोटी बड़ी गलती हुई हो
या कोई अपराध सा
तुमने किया हरदम क्षमा
देकर नयी कुछ सीख सा.
आज मै भी माँ बनी हूँ
तेरे गम को जानती हूँ
तेरी पीड़ा को समझ कर
सर झुकाना चाहती हूँ.
भारती दास ✍️
संवेदना का सरगम। नमन मां!🙏🌹🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏🏼🙏🏼
Deleteबहुत सुन्दर कहा आपने. अभिनन्दन.
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteमाँ का वन्दन
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
आपको बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼🙏🏼
Deleteबहुत भावपूर्ण।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteमां को नमन 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद
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