हे सर्वस्व सुखद वर दाता
चिर आनंद जहां पर पाता
हरी भरी सी सुभग छांव में
हंसते गाते सब सहज गांव में
उस मनहर बरगद की छाया
जहां विद्व जन वेद को ध्याया
पतित पावन अति मनभावन
मोक्ष प्रदायक रहते नारायण
जप तप स्तुति धर्म उपासना
योगी यति करते हैं कामना
ब्रह्म देव श्री हरि उमापति
कष्ट क्लेश हरते हैं दुर्मति
यमदेव हर्षित वर देते
आंचल में खुशियां भर देते
सत्यवान ने नव जीवन पाई
मुदित मगन सावित्री घर आई
करती प्रार्थना सभी सुहागिन
वैसे ही सौभाग्य बढ़ती रहे हरदिन.
भारती दास ✍️
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर |
ReplyDeleteधन्यवाद अनुपमा जी
ReplyDeleteबरगद अमावस्या पर बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, भारती दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteधन्यवाद अनुराधा जी
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteध अनीता जी
ReplyDeleteधन्यवाद कामिनी जी
ReplyDeleteसुन्दर वन्दना
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन।
धन्यवाद सुधा जी
ReplyDeleteभारती जी ससम्मान नमस्कार ,
ReplyDeleteसुन्दर ! अति सुन्दर रचना !
मेरे पोस्ट पर आपको हार्दिक आमंत्रण है अपनी अनमोल प्रतिक्रिया दे । आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए ऊर्जा तुल्म है ।
धन्यवाद सर
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