Saturday, 7 May 2022

पोषित करती मां संस्कार

 दशानन के पिता ऋषि थे

पर मिला नहीं शिक्षण उदार

आसुरी वृत्तियों से संपन्न

माता थी उनकी बेशुमार.

दारा शिकोह को भाई ने मारा

कितना कलंकित था वो प्यार

शाहजहां को कैद किया था

ऐसा विकृत था परिवार.

वहीं दशरथनन्दन की मां ने

दी थी सुंदर श्रेष्ठ विचार

श्रीराम का सेवक बनकर

अपनाओ सदगुण आचार.

संघमित्रा और राहुल को पाला

यशोधरा ने देकर आधार

तप त्याग की महिमा सिखाई

बौद्ध धर्म का किया प्रसार.

ब्रह्म वादिनि थी मदालसा

पुत्रों को दी थी ब्रह्म का सार

सिर्फ कर्म स्थल ये जग है

विशुद्ध दिव्य तुम हो अवतार.

पिता हमेशा साधन देता

मां ही देती संपूर्ण आकार

सद आचरण प्रेम सिखाती

देती दंड तो करती दुलार.

सही दिशा उत्कृष्ट गुणों से

पोषित करती मां संस्कार

जैसा सांचा वैसा ही ढांचा 

जिस तरह गढता कुंभकार.

भारती दास ✍️



14 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (8-5-22) को "पोषित करती मां संस्कार"(चर्चा अंक-4423) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद कामिनी जी

      Delete
  2. वाह! माता की महिमा को मंडित करती अत्यंत मोहक रचना।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर और गहन अहसास माँ से ही संस्कार पोषित होते हैं।
    सुंदर सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद कुसुम जी

      Delete
  4. वाह उत्कृष्ट रचना !!

    ReplyDelete
  5. सच माँ के संस्कार बोलते हैं
    बहुत अच्छी प्रेरक रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद कविता जी

      Delete
  6. वाह! बहुत बढ़िया सराहनीय सृजन।
    सादर

    ReplyDelete
  7. धन्यवाद अनीता जी

    ReplyDelete
  8. माँ की महिमा को बखान करती सुंदर रचना

    ReplyDelete
  9. धन्यवाद अनीता जी

    ReplyDelete