Saturday, 13 November 2021

हमेशा रहती है दूर

 

एक सुशीला महिला

हमेशा रहती है दूर

शराब की विकृत भावों से

गंदी नजर की कुंठाओं से

अमीर पतियों की घपलेबाजी से

सुविधाओं की चोंचलेबाजी से

करती नहीं कभी गुरूर

हमेशा रहती है दूर....

एक कुलीना महिला

हमेशा रहती है दूर

अधूरे ज्ञान की प्रशंसा से

मित्र गणों की अनुशंसा से

बद आचरण की परिभाषा से

स्वतंत्र उत्थान की अभिलाषा से

होती नहीं कभी मगरुर

हमेशा रहती है दूर....

एक अबला सी महिला

हमेशा रहती है दूर

मंहगे तोहफे उपहारों से

लालच और व्यभिचारों से

खोखली झूठी आकांक्षाओं से

व्यर्थ सी कई इच्छाओं से

 होती नहीं बेबस मजबूर

हमेशा रहती है दूर....

भारती दास ✍️

6 comments:

  1. सार्थक सृजन ।हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. कुशल कुलीन अबला ... पर नारी आज की हर बात में आगे रहती है ...
    बहुत सुन्दर रचना ...

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  3. सही कहा सुशीला कुलीना अबला महिलाएं हमेशा सदाचारी होती है
    अधूरे ज्ञान की प्रशंसा से

    मित्र गणों की अनुशंसा से

    बद आचरण की परिभाषा से

    स्वतंत्र उत्थान की अभिलाषा से
    इ सभी से बड़ी कुशलता से दूर रहती है
    वाह!!!
    बहुत ही सार्थक जवं सारगर्भित सृजन।

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  4. धन्यवाद सुधा जी

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