हे नवल वर्ष सुस्वागत है
कैसे कहूं अनुरागी इस मन में
कुछ अनकही सी चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
स्वप्न कई ये नयन बुने थे
अनसुलझी धागों को चुने थे
उन ख़्वाबों में मृदु रंग भरने
स्नेहिल संग की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
महसूस अगर हो पर की पीड़ा
बरसेंगे दृग कोर की घेरा
सुखद सुनहरा दिन हो प्यारा
सुख रजनी की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
श्रम योगी बनकर मुस्काये
कर्म की पूजा दिल में समाये
संकल्प अधूरे हो सब पूरे
सहयोग सकल की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
भारती दास ✍️
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सकारात्मक सोच, सुन्दर रचना।
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नूतन वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत धन्यवाद सर,नव वर्ष मंगलमय हो
Deleteनव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर,नव वर्ष मंगलमय हो
Deleteश्रम योगी बनकर मुस्काये
ReplyDeleteकर्म की पूजा दिल में समाये
संकल्प अधूरे हो सब पूरे
सहयोग सकल की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
बहुत ही सुंदर रचना का सृजन किया है आपने। साधुवाद। ।।
बहुत बहुत धन्यवाद सर, नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteसुंदर भाव परहिताय की शुभकामनाएं लिए सरस सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी
ReplyDeleteसुन्दर, सरस एवं संदेश पूर्ण रचना..
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद सर
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