Monday, 4 January 2021

हे नवल वर्ष सुस्वागत है

 

हे नवल वर्ष सुस्वागत है
कैसे कहूं अनुरागी इस मन में
कुछ अनकही सी चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
स्वप्न कई ये नयन बुने थे
अनसुलझी धागों को चुने थे
उन ख़्वाबों में मृदु रंग भरने
स्नेहिल संग की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
महसूस अगर हो पर की पीड़ा
बरसेंगे दृग कोर की घेरा
सुखद सुनहरा दिन हो प्यारा
सुख रजनी की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
श्रम योगी बनकर मुस्काये
कर्म की पूजा दिल में समाये
संकल्प अधूरे हो सब पूरे
सहयोग सकल की चाहत है
हे नवल वर्ष सुस्वागत है....

भारती दास ✍️ 

 

12 comments:

  1. सकारात्मक सोच, सुन्दर रचना।
    --
    नूतन वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर,नव वर्ष मंगलमय हो

      Delete
  2. नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर,नव वर्ष मंगलमय हो

      Delete
  3. श्रम योगी बनकर मुस्काये
    कर्म की पूजा दिल में समाये
    संकल्प अधूरे हो सब पूरे
    सहयोग सकल की चाहत है
    हे नवल वर्ष सुस्वागत है....
    बहुत ही सुंदर रचना का सृजन किया है आपने। साधुवाद। ।।

    ReplyDelete
  4. बहुत बहुत धन्यवाद सर, नव वर्ष मंगलमय हो

    ReplyDelete
  5. सुंदर भाव परहिताय की शुभकामनाएं लिए सरस सृजन।

    ReplyDelete
  6. बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी

    ReplyDelete
  7. सुन्दर, सरस एवं संदेश पूर्ण रचना..

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद जिज्ञासा जी

      Delete
  8. धन्यवाद सर

    ReplyDelete