Tuesday, 31 December 2019

मधुर अतीत बन जाने को है


पल-पल क्षण-क्षण बीत रहा है
विदा ये अंतिम ले रहा है
खट्टी-मीठी यादें देकर
नम नयन को कर रहा है.
मधुर अतीत बन जाने को है
मृदु इतिहास रच जाने को है
मौन रुप स्मृति में बसकर
उत्सर्ग समस्त कर जाने को है.
नव प्रभात  में उत्साह समाये
नव आलोक अनुराग सिखाये
नव तुषार के सघन मिलन से
नव आह्लाद जीवन हर्षाये.
दुआ यही है यही चाह हो
कुंज द्वार पर हंसी अथाह हो
संवरे बचपन हंसे मनुज मन
हर पल मंगलमय प्रवाह हो.

भारती दास



5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-01-2020) को   "नववर्ष 2020  की हार्दिक शुभकामनाएँ"    (चर्चा अंक-3567)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    नव वर्ष 2020 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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  3. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१२-०१-२०२०) को "हर खुशी तेरे नाम करते हैं" (चर्चा अंक -३५७८) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  4. सुंदर रचना

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  5. आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद

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