Saturday, 9 November 2019

आज रामजी लौटे हैं घर

आज रामजी लौटे हैं घर

दीप जलाये खुशी मनाये
इक दूजे को गले लगाये
स्वर्ग उतर आया है धरा पर
आज रामजी लौटे हैं घर....
कवि कल्पना में जीते हैं
लेकिन झूठ नहीं कहते हैं
तुलसी के मानस के ईश्वर
आज रामजी लौटे हैं घर....
पुण्य की धारा सदा सी बहती
कोमल शांत कथा सी कहती
विकल नीर बहता था झर-झर
आज रामजी लौटे हैं घर....
प्रेम से पागल हुआ जहां ये
मला अंग में रंग नया ये
रोम-रोम में पुलक है भरकर
आज रामजी लौटे हैं घर....
श्रद्धा है मंदिर-मस्जिद की
जैसे निर्गुण-सगुण की मूर्ति
उत्सव सा आया है अवसर
आज रामजी लौटे हैं घर....
राघव की महिमा है अनंत
दूर हुआ दुर्मति का दंभ
आदर्श रूप मर्यादा सुंदर
आज रामजी लौटे हैं घर.
भारती दास

8 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10 -11-2019) को "आज रामजी लौटे हैं घर" (चर्चा अंक- 3515) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं….
    **********************
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. धन्यवाद रवीन्द्र जी

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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  3. धन्यवाद ओंकार जी

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  4. . जी राम जी की इससे अच्छी वापसी और क्या हो सकती है बहुत ही अच्छी रचना अपने लिखी

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  5. धन्यवाद अनिता जी

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  6. सुंदर प्रस्तुति।

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  7. बहुत बहुत धन्यवाद

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