Tuesday, 31 January 2017

आया वही मधुमय बसंत



सदमय बसंत मदमय बसंत
आया वही मधुमय बसंत
पेड़ों पर पत्ते डोलते
नव गात से मन मोहते
उर में उमंगें है भरे
तनमन ख़ुशी से झूमते,
नवमय बसंत मुदमय बसंत
आया वही मधुमय बसंत….
ऋतुराज की आई बहार
प्रफुलित हुई फूलों की डार
सुर-सुंदरी ने की श्रृंगार
झंकृत हुए वीणा के तार,
सुरमय बसंत शुभमय बसंत….
आया वही मधुमय बसंत.
खग की मधुर कलरव की शोर
कितनी सुहानी है ये भोर
बहके कदम मेरी किसकी ओर
खींचे कोई मेरे मन की डोर
रसमय बसंत सुखमय बसंत
आया वही मधुमय बसंत…..         

No comments:

Post a Comment