Tuesday, 3 January 2017

अभिनंदन हो इस क्रांति का



नूतन वर्ष का हो गया आरम्भ
सब कुछ लगता है नया-नया
फिजा में ऐसी शोर उठी कि
वातावरण बदल सा गया.
गोरख धंधे में उलझे लोग
खुद को असमर्थ सा पाया
महामानव के उस तेवर से
साम्यवाद का युग बन आया.
अवैध रूप की जमा-खोरी का
मूल्य शून्य सा हो गया
भ्रष्टाचार और वोट के नोट
सारा धन मिटटी बन गया.
आर्थिक महाक्रान्ति के पल में
परिणाम विराट सा हो गया
नगद रहित हो गयी व्यवस्था
इक नव सा बदलाव समाया.
अफरा-तफरी का रहा माहौल
असमंजस पसरा चारों ओर
फिर से होगा दिन पुराना
विकल्प नए होंगे पुरजोर.
अभिनन्दन हो इस क्रांति का
आत्मभाव विकसे शुभ-ज्ञान
कोटि-कोटि लोगों के श्रम से
राष्ट्र का हो बेहतर निर्माण.              

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